लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ
हैलो सखी।
लो मै फिर आ गयी।आज तो मेरी तुम से मुलाकात शाम को हो रही है ।अब पूछोगी नही कि शाम को क्यों तुम तो सुबह मिलने आती थी। मै बता देती हूं आज काफी समय बाद देहली जाना हुआ वो भी मैट्रो मे ।सच मे अपनी गाड़ी से जाओ तो वही पतिदेव का चेहरा वही रास्ता ।पर जब आज सुबह पतिदेव ने जब कहा कि देहली जाना है तो मैंने तपाक से बोला,"चलो मेट्रो से चलते है ।"पतिदेव हैरान रह गये कहां तो गाड़ी के बगैर कही जाती नही थी ओर कहां आज मैट्रो मे जाने की जिद कर रही है। लेकिन फिर भी काम उनका था मुझे तो साथ जाना था वो मान गये।हम आटो से मैट्रो स्टेशन गये और वहां से मैट्रो पकड़ कर देहली की ओर चल दिए।कसम से बड़ा मजा आ रहा था तरह तरह के चेहरे दिख रहे थे मैट्रो मे । क्या गरीब क्या अमीर सभी सवार थे।कही फौजी छुट्टी पर आये होंगे वो अपने घर जा रहे थे तो कहीं बच्चे अपना कालेज का बैग उठाकर कालेज जा रहे थे।हर किसी को जल्दी थी। मैं करोना काल के बाद काफी दिनों बाद मैट्रो मे बैठी थी। मुझे सब कुछ मनमोहक लग रहा था । कोई हिसाब किताब मे लगा था तो कोई अपनी बहू की बुराई कर रहा था।तो किसी की सास बीमार थी।मेरा मन तो एक बहुत ही छोटी सी लड़की ने मोह लिया जिस मैट्रो से हम वापसी कर रहे थे वह उसमे अपने मम्मी पापा और छोटी सी बहन के साथ चढ़ी पता नही क्यों मुझे उसमे देवी के दर्शन है रहे थे अपने आप मे ही मंद मंद मुस्कुरा रही थी ।उसे कोई फर्क नही पड रहा था कि कौन उसे देख रहा है जब मैट्रो स्टेशन पर रुकती तो हल्का सा धक्का लगता और वो गिरते गिरते बचती और फिर मुस्कुरा देती।कसम से बहुत ही खुशमिजाज थी वह बचची।मुझे अफसोस हो रहा था कि भगवान ने मुझे लड़की कयो नही दी।अब चलती हूं सखी । अलविदा।
shweta soni
09-Dec-2022 07:44 PM
अच्छा लिखा है आपने 👌
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Parangat Mourya
08-Dec-2022 05:52 PM
Behtreen 🙏🌸
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Gunjan Kamal
07-Dec-2022 10:13 PM
👏👌🙏🏻
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